गुरुवार, 6 दिसंबर 2012

वालमार्ट-ईस्ट इंडिया का स्वागत है नेहरू के इंडिया मे (WELCOME WALMART)



हिंदुस्थान में लोकतन्त्र की पूरी तरह से हत्या हो चुकी है सभी स्तंभ ढह चुके है लेकिन वे ऐसा ढोंग कर रहे है जैसे कुछ नहीं हुआ इस लोकतन्त्र के शरीर मे कंपनी तंत्र घुस गया है॥कांग्रेस के कुटिल प्रयासो एवं मायावती मुलायम जैसे दलाल नेताओं के कारण वालमार्ट  सरीखी, ईस्ट इंडिया कंपनी ने संसद के माध्यम से  हिंदुस्तान मे दस्तक दे दी है।  ये कंपनी-तंत्र जवाहरलाल के समय से शुरू हुआ है काफी दबाव से ईस्ट इंडिया कंपनी को भारत से खदेड़ा लेकिन 126 विदेशी कंपनीया तो 1948 मे थी भारत मे
एक जांच संस्थान कोक पेप्सी मे कीटनाशक पाए जाने की जांच करती है और जांच मे कीटनाशक पाए जाते है । कंपनियों के खिलाफ जबर्दस्त विरोध का माहोल वनता हैनेताओ की भ्रष्ट टोली जेपीसी बैठाती है लेकिन शरद पवार जैसे नेता और गोयनका जैसे दलाल साथ मिलकर के उस कंपनियों को अभयदन देते है, फिर मीडिया के जरिये लीपापोती की जाती है की ऐ ! मूर्ख जनता पियो पेप्सी कोला जियो पेप्सी कोला, अब यही तुम्हारी नियति है” 
आज वही सब हो रहा है कंपनियाँ चाहती है नमक बेचना तो आयोडाइज्ड नमक हो गया कानूनी और अन्य नमक बेचना गैर कानूनीकंपनियाँ चाहती है घटिया तेलो को रेफ़ाइंड कर बेचना तो डॉक्टर उसे स्वास्थ्य प्रद बताने लगे  इस कंपनी तंत्र ने इतनी आर्थिक विषमता फैला दी है की एक ओर पाँच करोड़ लोगो की आय दस रूपए से भी कम है तो दूसरी ओर ऐसे लोग भी है जिनकी प्रतिदिन की आय लाखो-करोड़ो मे है । व्यक्ति मानव न रहकर इन शिकारी कंपनियों का शिकार बनकर रह गया है । लोकतन्त्र की आड़ मे ही ऐसे धंधे होते है । लोकतन्त्र की आड़ मे आहारशिक्षानीतिकानून शोध ,म चिकित्साआर्टमीडिया सभी पर अपना शिकंजा कस लिया गया है अर्थात आपको हर जगह वही देखने सुनने को मिलेगा जो कंपनियाँ चाहेगी पूरी मीडिया पर कंपनी और चर्च तंत्र का कब्जा है
ऐसी परिस्थियों में एक ही उपाय है की इस तंत्र से असहयोग करें । आइये समाज मे फैलाए गए षडयंत्रो से आपको अवगत कराए और कुछ षड्यंत्र पर प्रकाश डाले ।

फलां- फलां तेल में कोलेस्ट्रॉल नहीं होता है
किसी भी तेल मे कोलेस्ट्रॉल नहीं होता है कोलेस्ट्रॉल केवल यकृत मे बनता है
सोयाबीन में भरपूर प्रोटीन होता है
सोयाबीन सूअर का आहार है मनुष्य के खाने लायक नहींभारत मे अन्न की कमी नहीं है इसका प्रोटीन सूअर आसानी से पचा सकता है मनुष्य नहीं जिन देशो मे वर्ष के 8-9 महीने ठंड रहती है वहाँ सोयाबीन जैसे आहार चलते है। 
घी पचाने मे भारी होता है
बुढ़ापे में मस्तिष्कआंतोंमासोऔर संधियों में रूखापन आने लगता है इसलिए घी खाना बहुत ही जरूरी होता है देशी घी के घी के अलावा अन्य सभी घी पचने में भारी होते है और भारत मे घी का अर्थ देशी गाय के घी से ही होता है। 
घी खाने से मोटापा बढ़ता है
षड्यंत्र प्रचार: ताकि लोग घी खाना बंद करे और गाय मांस की मंडियों मे पहुंचे ।
जो व्यक्ति पहले पतला हो और बाद मे मोटा हो जायऐसा व्यक्ति देशी घी खाने से पतला होता है. 
घी ह्रदय के लिए हानिकारक है
देशी गाय का घी ह्रदय के लिए अमृत है पंचगव्य मे इसका स्थान है. 
डेयरी उद्योग दुग्ध उद्योग है
डेयरी उद्योग मांस उद्योग है यहाँ बछड़े और बैलो कोवीमारकमजोर गायों कोदूध देना बंद करते ही स्वस्थ गायों को कत्लखानों मे भेज दिया जाता है । दूध डेयरी का गौण उत्पाद है। 
आयोडाइज्ड नमक से आयोडिन की कमी पूरी होती है
आयोडाइज्ड नमक का कोई इतिहास नहीं हैये पश्चिम का कंपनी षडयंत्र हैआयोडाइज्ड नमक मे आयोडिन नहीं पोटेशियम आयोडेट होता है वह भी भोजन पकाने की विधि में गरम करते समय उड़ जाता है । स्वदेशी जागरण मंच के विरोध के फलस्वरूप 2000 मे बीजेपी सरकार ने यह प्रतिबंध हटा लिया था लेकिन कॉंग्रेस ने फिर से प्रतिबंध लगा दिया ताकि लूटतंत्र  चलता रहे। 
शक्कर का कारख़ाना
शक्कर का कारख़ाना इस नाम की आड़ मे चलाने वाला शराब का कारख़ाना।  शक्कर इसका गौण उत्पाद है। 
शक्कर सफ़ेद जहर है
रासायनिक प्रक्रिया के कारण कारखानो में बनी शक्कर सफ़ेद जहर है परंपरागत शक्कर एकदम सफ़ेद नहीं होती है थोड़ा हल्का पीलापन लिए होती है। 
फ्रिज मे आहार ताजा होता है
फ्रिज मे रखा आहार ताजा दिखता है पर होता नहीं हैजब फ्रिज का आविष्कार नहीं था तब इतने समय रक्खे भोजन को सड़ा हुआ, बाँसी भोजन कहते थे
चाय से ताजगी आती है
गरम पानी से आती है ताजगीचाय तो नशा (निकोटिन) है। 
सलाद स्वास्थ्यप्रद है
केवल कफ प्रधान व्यक्तियों के लिए सलाद सेवनीय है कच्चे आहार से पका हुआ आहार अधिक सुपाच्य होता है इसलिए हर चीज का सलाद बनाना उचित नहीं सब्जियों पर सर्वाधिक कीटनाशकों का प्रयोग होता है और होटलों समारोहो मे जहां सब्जियों को ठीक से धोया भी नहीं जाता ।
एलोपैथी स्वास्थ्य विज्ञान है
एलोपथी चिकित्सा विज्ञान है स्वास्थ्य विज्ञान नहीं
एलोपैथी विज्ञान ने बहुत प्रगति की है
दवाई कंपनियों ने बहुत प्रगति की है एलोपैथी में मूल दवाइयाँ 480-520 है जबकि बाजार मे 1,00,000 से अधिक दवाइयाँ बिक रही है
बैक्टीरिया वायरस के कारण रोग होते है
शरीर में बैक्टीरिया-वायरस के लायक वातावरण तैयार होने पर रोग होते है
भारत मे लोकतन्त्र है जनता के हितो का ध्यान रखने वाली जनता के द्वारा चुनी हुई सरकार है
भारत मे लोकतन्त्र नहीं कंपनी तंत्र है बहुत से सांसदमंत्रीप्रशासनिक अधिकारी कंपनियों के दलाल है उनकी भी नौकरिया करते है उनके अनुसार नीतियाँ बनाते हैवे जनहित मे नहीं कंपनी हित मे निर्णय लेते है । भोपाल गैस कांड से बड़ा उदाहरण क्या हो सकता है जहां एक अपराधी मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री के आदेशानुसार फरार हो सका । लोकतन्त्र होता तो उसे पकड़ के वापस लाते ना ?
आज के युग मे मार्केटिंग का बहुत विकास हो गया है
मार्केटिंग नहीं ठगी का विकास हुआ हैमाल गुणवत्ता के आधार पर नहीं विभिन्न प्रलोभन व जुए के द्वारा बेचा जाता है। 
टी॰वी॰ मनोरंजन के लिए घर घर तक पहुंचाया गया है
जब टी॰वी॰ नहीं था तब लोगो का जीवन देखो और आज देखो जो आज इन्टरनेट पर बैठे जय सुलभता से जीवन जी रहे है उन्हें अहसास नहीं होगा ।
कंपनियों का माल बिकवाने और परिवार व्यवस्था को तोड़नेइसाइवाद का प्रचार करने के लिए टी॰वी॰ घर-घर तक पहुंचाया जाता है
टूथपेस्ट से दाँत साफ होते है
टूथपेस्ट करने वाले यूरोप में हर तीन मे से एक के दाँत खराब है दंतमंजन करने से दाँत साफ होते है मंजन –माँजनाक्या बर्तन ब्रश से साफ होते है ? मसूड़ों की मालिश करने से दाँतो की जड़ें भी मजबूत होती है
साबुन मैल साफ कर त्वचा की रक्षा करता है
साबुन में स्थित ‘केमिकल’(कास्टिक सोडाएस ॰एल॰एस॰) और चर्बी त्वचा को नुकसान पहुँचाते हैऔर डॉक्टर इसलिए चर्म रोग होने पर साबुन लगाने पर मना करते है । साबुन मे गौ की चर्बी पाए जाने पर विरोध होने से पहले हिंदुस्तान लीवर हर साबुन मे गाय की चर्बी का उपयोग करती थी आज पता नहीं मीडिया और सरकार दोनों बिके हुए हैमीडिया को विज्ञापन से पैसा मिलता है तो सरकार को दलाली और संरक्षण का
आटा चक्कियाँ औद्योगिक प्रगति की निशानी है इससे महिलाओ को कमर तोड़ मेहनत से राहत मिलती है
हाथ से चक्की चलाने से महिलाओं में प्रसव सामान्य होता था प्रसव के बाद होने वाला कमर दर्द नहीं होता था बच्चो के पोषण के लिए स्तनो में भरपुर होता था । स्तन पान कराने से दो बच्चो के बीच में स्वाभाविक रूप से दो तीन वर्षों का अंतर होता था । कृत्रिम गर्भ निरोधकों के प्रयोग से होने वाली जटिलताओं का सामना नहीं करना पड़ता था । चक्की चलाने से शरीर सूडोल रहता था । आटे में सभी पोशाक तत्व विद्यमान रहते थे जो मशीन की शक्की मे नष्ट हो जाते हैआटे में सात्विकता बनी रहती थी एवं ताजा आटा खाया जाता था इसलिए ये कहते है की चक्की से महिलाओ को कमर तोड़ मेहनत से राहत मिलती है और टीवी के विज्ञापन और सीरियल देखनेके लिए समय मिलता है सीरियल मे कहानी की सीख की जगह उत्पाद का प्रचार और पारिवारिक विखराव के षड्यंत्र की शिक्षा का प्रचार अधिक होता है
महाझूठ (प्रचार – षड्यंत्र )
सत्य
महाझूठ – रिफाइंड तेल स्वास्थ्य-प्रद है
पामसोयाबीनसूर्यमुखीकुसुमकपासचावल की भूसी आदि के तेल बेस्वाद व दुर्गंध से भरे होते है उन्हें इससे मुक्त करने के लिए रिफ़ाइन करने की प्रक्रिया का आविष्कार हुआ, “क्या आप जानते है रिफ़ाइन करने के लिए प्रयुक्त रसायन (कास्टिक सोडाहेकजेनफुलर आर्कप्लास्टर ऑफ पेरिस आदि ) के तेल मे थोड़ी मात्र मे रह जाते हैलगभग 2 – 3%, जिससे रक्तचाप (BP) बढ़नाआदि बीमारियाँ होती हैतिलसरसोमूँगफलीनारियल आदि तेलो मे विद्यमान विटामिन व एंजाइमो के कारण जो विशेष   स्वाद व सुगंध होता है वह रिफ़ाइन करने से नष्ट हो जाता है रिफ़ाइन तेलो मे स्वाद सुगंध न होने से मिलावट की आशंका अधिक है
सोयाबीन का तेल बहुत गुणकारी है
सोयाबीन का तेल पेन्ट और वार्निश मे काम आने वाला तेल है अमेरिकी स्वार्थ के कारण इसका ज़ोर शोर से प्रचार हो रहा है
जर्सी एक गाय है
जब हम भेंड को भेंस-गायगाय को याक-गाय नहीं कहते तो जर्सी को जर्सी-गाय क्यों कहते है ? जर्सीहोलेस्टीनफ्रीजियन आदि गाय नहीं सदृश्य जानवर है ये जानवर पूतना की तरह विश और नपुंसकता के वाहक है इसी कारण पश्चिम मे ब्लेक-टीब्लेक-कॉफी, (दूध रहित कॉफी चाय) का प्रचालन है और दूध को सफ़ेद जहर मे गिना जाने लगा है जबकि गाय तो माता है एक ‘चलता फिरता औषधालय’ और दूध उसका अमृत है
वनस्पति गरीबों का घी ।
तेल को घी कहकर बेचने से बढ़ा झूठ और क्या हो सकता है ? तेल को हाइड्रोजन और निकल के द्वारा विकृत कर क्या असली घी बनाया जा सकता है ? यह तो रावण के साधू वेष धारण करने जैसा हैगौ  हत्या के कारण भारत मे घी की कमी न हो इसलिए नकली घी बनाकर खिलाने की चाले नेहरू के कार्यकाल से चली आ रही है , इस घिनोने षड्यंत्र के तहत भारत मे  ऐसे घी बनाने का षड्यंत्र का जमकर प्रयोग हुआजिसका पर्दाफाश करने के स्थान पर नेहरू ने इसको संरक्षण दियाविदेशियों के साथ गौ का मांस चखने वाले को क्या पता गौ का महत्व और ध्यान
भारतीय गाये कम दूध देती हैजबकि जर्सी अधिक दूध देती है
भारत मे गायों की 30 से भी अधिक नस्ले हैजिनमे अधिकांश अच्छे बैल देने वाली 28 नस्ले है कुछ नस्ले अच्छे बैल और अधिक दूध देने वाली नस्ले है, 6 नस्ले तो अधिक दूध देती है लेकिन जब तुलना की जाती है तब बैल देने वाली नस्लों और जर्सी आदि की तुलना की जाती है इन विदेशी जानवरो के नर खेती के काम के योग्य ही नहीं है ये सिर्फ कटने के लिए ही विकसित हुए है
धवल क्रांति के कारण भारत में दूध की नदियां बहाने लगी
धवल क्रांति की आड़ मे कम दूध देने वाली गाय के नाम पर गौ माता पर भयंकर अत्याचार हुआरोगौत्पादक जर्सी आदि जानवरों और भेंसों को बढ़ावा दिया (हमने हमेशा व्यापार मे क्रांति का अर्थ विदेशी क्रांति से ही लिया)
हरित क्रांति ने देश को खाद्यान की समस्या हल कर दी
हरित क्रांति की आड में प्रचलित संकर बीजखाद्य और कीटनाशकों ने पूरे आहार को विषाक्त कर दिया फलस्वरूप आज एक एक व्यक्ति बीमार और अस्वस्थ है आवश्यकता अंग्रेज़ो द्वारा नष्ट सुजलाम   सुफलाम कृषि व्यवस्था को बढ़ावा देने की थी , और आज भूख से कितने मरते है यह बात किसी से छुपी है क्या ? कोंग्रेसी पहले भी झूठ बोलते है और आज भी झूठ का सिलसिला अनवरत जारी है भारत निर्माण खूब अच्छे से हो रहा है
टीवी के विज्ञापन
टीवी के विज्ञापन मे विज्ञापित वस्तुओं की लागत और बिक्री मूल्य में 12-14 गुने से भी अधिक का अंतर होता है जैसे 80-85 पैसे में बना कोल्ड ड्रिंक 10-12 रु॰ में 1.50 – 2.00 रु॰ में बने टूथपेस्ट 40-45 रु॰ में, 1.00-1.50 रु॰ में बने साबुन 15-20 रुपये में बेचे जाते है किसी भी सौन्दर्य की क्रीम मे हमेशा ट्राइ करने के लिए क्यूँ कहते है ऐसा क्यूँ नहीं कहते है की यह प्रमाणित है ? फिर भी लोग इसे लगते है
शुद्ध नमक एकदम सफ़ेद होता है
सोडियम क्लोराइड का रंग हल्का सफ़ेद होता हैइसलिए शुद्ध नमक की पहचान उसका एकदम सफ़ेद न होना ही है उसे सफ़ेद करने के लिए उसमे मेग्नेशियम क्लोराइड जेसी अशुद्धियाँ मिलाई जाती हैजो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है मेग्नेशियम क्लोराइड अक्सर टीवी के विज्ञापन मे एरियलटाइड जैसे डिटर्जेंट मे लिखा या दिखाया जाता है , नमक को  सफ़ेद रंग से इसलिए करते है क्योंकि हल्का सफ़ेद रंग आज के जमाने मे अशुद्धता और मैल की निशानी है बाजार मे कम बिकता है             

अब आइए जानते है की ये क्म्पनिये काम कैसे करती है -
मल्टी ब्रांड रिटेल्स वाली कंपनिया जैसे वालमार्ट कैसे काम करती हैं और इसका प्रभाव क्या होगा  -

1-  इन कंपनियों के पास बहुत पैसा होता है और देश का कानून इनके हाथ में होता है !
2- ये उत्पादको से सीधे लहसुनप्याजआलू जैस उत्पाद बहुत सस्ते रेट खरीद कर जमा कर लेते है और जब बाजार में सामान की कमी हो जाती है और उसके भाव बढ़ जाते है जैसे प्याज 3० रुपये किलो बिकेगा तब ये कंपनिया अपने जमा स्टाक से प्याज निकालकर 25/- किलो बेचेगी और रोज अखबार में प्रचार आयेगा की वालमार्ट प्याज 25/- में बेच रही है. जबकि खुले बाजार में प्याज 3०/- किलो है।
3- बड़ी कंपनियों का यही रवैया पूरे विश्व में हैभारत में यह करना बहुत आसान है क्योकि यहाँ पर सरकार और नेता दलालचोर और भ्रष्ट है। 
4- सरकार ये स्वप्न दिखा रही है की रोजगार बढ़ेगा तो ऐसा क्यू है जिस जिस देश मे वालमार्ट है वहाँ से उसे भगाने के लिए आंदोलन चलाये जा रहे हैं। अमरीका मे वालमार्ट के कारण किसानो की जो दुर्दशा हुई उसके कारण उसका सामाजिक बहिष्कार शुरू हो गया है । क्यू अमरीका की सरकार को वालमार्ट के रहते हुये भी कृषि क्षेत्र को 1 बिलियन डालर की सब्सिडी देनी पड़ी।
सरकार ये भी स्वप्न दिखा रही है की वालमार्ट यहा आ के कोल्ड स्टोरेज बनाएगी । ज्ञातव्य हो की आजादी के बाद हिंदुस्थान मे कुल कोल्ड स्टोरेज 3500 हैं इसमे से भी 1500 कोल्ड स्टोरेज अकेले अटल बिहारी वाजपेयी ने 6 सालो मे बनवाए । जबकि आवश्यकता 15000 की है । 

अब कांग्रेस ये कह रही है की पूरी कांग्रेस सरकार जिसने 55 साल के शासन काल मे हिंदुस्थान मे 2000 कोल्ड स्टोरेज बनवाए एक बिदेशी कंपनी उसके कामो को (13000 कोल्ड स्टोरेज) पूरा करेगी  ॥ अब ये आप भी सोच सकते हैं की वालमार्ट यहाँ दान पुण्य करने आ रही है या व्यापार करने ।   
5- हमारे समाज के गरीब दुकान बंद करके राहजनी करना शुरू कर देंगे क्योकि वालमार्ट और टेस्को जैसी कम्पनिया आने से ठेले वालो की दुकानदारी बंद होनी ही है ! 
यह ठगी बंद होना चाहिए ! मगर इसका रास्ता क्या है । सरकार ने देश को गुलाम बनाने के लिए दलाली खा के ईस्ट इंडिया कंपनी की फौज खड़ी कर दी है
? जरूरत समग्र प्रयास,स्वदेशी की अवधारणा और बिदेशी के बहिष्कार की है। 
मगर यक्ष प्रश्न ये है की क्या हम तैयार हैं इन कंपनियो के निषेध के लिए ????????