बुधवार, 10 अप्रैल 2013

हिन्दू नव वर्ष की शुभकामनायें ( HINDU NEW YEAR)



आज कल लिखना लिखाना कम हो गया है नौकरी से तो फुर्सत निकाल लेता हूँ मगर अब विचारधारा के लिए धरातल पर काम कर रहा हूँ अतः समय  से जंग चलती रहती है ..कभी कभी लगता है की एक जीवन कम है जितने काम हमे करने हैं..कल नव वर्ष है तो सोचा बधाइयाँ देता चलूँ..शायद आज के वर्तमान परिवेश में इस त्यौहार को लोग भूलते जा रहे हैं इसपर कुछ साल पहले एक लेख लिखा था कुछ थोड़े बहुत संपादन के बाद उसे ही लिख रहा हूँ.. 

हमारी वर्तमान मान्यताएं और आज का भारतीय : वर्तमान परिवेश में पश्चिम का अन्धानुकरण करते हुए हम ३१ दिसम्बर की रात को कडकडाती हुए ठण्ड में नव वर्ष काँप काँप कर मानतें है..पटाके फोड़ते है,मिठाइयाँ बाटते हैं और शुभकामना सन्देश भेजते है..कहीं कहीं मास मदिरा तामसी भोजन का प्रावधान भी होता है..अश्लील नृत्य इत्यादि इत्यादि फिर भी हमें ये युक्तिसंगत लगता है..

विश्व में हजारों सभ्यताएं हुई हैं और हजारों पद्धतियाँ है सबकी अपनी अपनी.. शायद ३१ दिसम्बर की रात या १ जनवरी को नव वर्ष मनाने का कोई वैज्ञानिक आधार हो, मगर मैंने आज तक नहीं देखा... फिर भी ये उनकी अपनी पद्धति है, मगर हमारी दुम हिलाने की आदत गयी नहीं आज तक, शुरू कर देते है पटाके फोड़ना..विडंबना ये है की क्या कभी आप ने किसी अमेरिकी को हिन्दू नव वर्ष मानते देखा है..मैं ये कहना जरुरी समझता हूँ की १ जनवरी को कुछ भी वैज्ञानिक दृष्टि से नवीन नहीं होता मगर फिर भी नव वर्ष होता है..


हिन्दू नव वर्ष कब मनाया जाता है : हिन्दू पंचांग के अनुसार चैत्र माह के शुक्ल प्रतिपदा के प्रथम दिन हिन्दू नव वर्ष मनाया जाता है..ऐसी मान्यता है की सतयुग का प्रथम दिन भी इसी दिन शुरू हुआ था..एक अन्य मान्यता के अनुसार ब्रम्हा ने इसी दिन सृष्टि का सृजन शुरू किया था..भारत के कई हिस्सों में गुडी पड़वा या युगादी  पर्व मनाया जाता है.इस दिन घरों को हरे पत्तों से सजाया जाता है और हरियाली चारो और दृष्टीगोचर होती है.

इस वर्ष पश्चिमी कलेंडर के अनुसार ये वर्ष 11 अप्रैल 2013  को शुरू होगा..चलिए ये तो रही मान्यताएं और इतिहास की बातें अब कुछ वैज्ञानिक तथ्यों को भी जान लें..


हिन्दू नव वर्ष के वैज्ञानिक तथ्य:


१ चैत्र माह मतलब हिन्दू नव वर्ष के शुरू होते ही रातें छोटी और दिन बड़े होने लगते है..

२ पेड़ों पर नवीन पत्तियों और कोपलों का आगमन होता है..पतझड़ ख़तम होता है और बसंत की शुरुवात होती है..

३ प्रकृति में हर जगह हरियाली छाई होती है प्रकृति का नवश्रृंगार होता है..

४ धर्म को मानने वाले लोग पूजा पाठ करते है मंदिर जातें है नदी स्नान करतें है..

५ भास्कराचार्य ने इसी दिन को आधार रखते हुए गड़ना कर पंचांग की रचना की.

५ हमारे हिन्दुस्थान में सभी वित्तीय संस्थानों का नव वर्ष अप्रैल से प्रारम्भ होता है .


आप ही सोचे क्या जनवरी के माह में ये नवीनता होती है नहीं तो फिर नव वर्ष कैसा..शायद किसी और देश में जनवरी में बसंत आता हो तो वो जनवरी में नव वर्ष हम क्यूँ मनाये???


वर्तमान में एक कुप्रथा चली है  मुर्ख दिवस मानाने की वो भी हिन्दू नव वर्ष के शुरुवात में और बौधिक गुलाम लोग  सबको अप्रैल फूल बनाते हैं.अर्थात अंग्रेजो और पश्चिम ने ये सुनिश्चित कर दिया है तुम मुर्ख हो और खुद के भाई बहनों को नव वर्ष में शुभकामना सन्देश भेजने की बजाय मुर्ख कहो और मुर्ख बनाओ और मुर्ख रहो..इसी का परिणाम है की आजादी के वर्षों बाद भी हमारी बौधिक गुलामी नहीं गयी जिस नव वर्ष को हमे पूजा पाठ और खुशहाली से मनाना चाहिए उस दिन हम एक दुसरे की मुर्खता का उपहास करते हैं...


चलिए आप सभी को नव वर्ष की ढेरों शुभकामनायें आशा करूँगा की ये नव वर्ष आप सभी के जीवन में अपार हर्ष और खुशहाली ले कर आये..  हिन्दू पंचांग महीनो के नाम और पश्चिम में कैलेंडर में उस माह का अनुवाद
चैत्र--- मार्च-अप्रैल
वैशाख--- अप्रैल-मई
ज्येष्ठ---- मई-जून
आषाढ--- जून-जुलाई
श्रावण--- जुलाई - अगस्त
भाद्रपद--- अगस्त -सितम्बर
अश्विन्--- सितम्बर-अक्टूबर
कार्तिक--- अक्टूबर-नवम्बर
मार्गशीर्ष-- नवम्बर-दिसम्बर
पौष----- दिसम्बर -जनवरी
माघ---- जनवरी -फ़रवरी
फाल्गुन-- फ़रवरी-मार्च


अब क्रिकेट की कुछ क्रिकेट के दीवानों लिए: भारतीय टीम के दो सदस्यों के नामआश्विन एवं कार्तिक भी  हिंदी महीनो के नाम पर है,किसी क्रिकेटर का नाम है क्या भारतीय क्रिकेट टीम में अगस्त सितम्बर या जुलाई ??


नव वर्ष मंगल मय हो...