सोमवार, 15 जून 2015

बांग्लादेश दौरे में नरेंद्र मोदी ने तोड़ी चीन की मोतियों की माला (string_of_pearls )


#string_of_pearls
 #बांग्लादेश #चिट्टागोंग #मोंगला
मित्रों आप से एक ऐसी सूचना साझा कर रहा हूँ जिसे हर भारतीय को जानना ही चाहिए। मोदी के बांग्लादेश से किये किसी भी समझौते के समझने से पहले चीन के बांग्लादेश और भारत के पडोसी राज्यों में भारत के घेरने की रणनीति के बारे में समझना अति आवश्यक है.
भारत को घेरते हुए चीन ने सभी पडोसी देशो में अपने बंदरगाह बना दिए थे और इन बंदरगाहो को भारत विरोधी गतिविधियों का अड्डा.. 

नक़्शे में दिखाए गए पडोसी देशो में बनाये गए string of pearls से चीन ने सागर में भारत को घेर लिया था।। इनमे प्रमुख बन्दरगाह निम्न हैं।
√ श्रीलंका का हम्बनटोटा बंदरगाह
√ पाकिस्तान का ग्वादर बंदरगाह
√ बांग्लादेश में चिट्टागोंग और मोंगला दो बंदरगाह
√ मालदीव में मारा बंदरगाह
√ म्यांमार में क्यौक्पयु बंदरगाह।
चाइना इन्हें string of Pearls “मोतियों की माला” कहता था. भारत की दृष्टि से चिट्टागोंग और मोंगला पोर्ट अत्यंत संवेदनशील थे।इन दोनों को चीन ने बांग्लादेश में बनाया था और वहां से अपनी गतिविधिया चलाता रहता था. मोदी ने सीमा समझौते के साथ ये समझौता किया की चिट्टागोंग और मोंगला पोर्ट अब भारत के उपयोग के लिए खोले जायेंगे और अब चिट्टागोंग और मोंगला पोर्ट भारत की गतिविधियों हेतु उपलब्ध हैं. मतलब चीन की string of pearls के दो मोती भारत ने तोड़ कर "श्रीलंका से बांग्लादेश तक" सागर में खुद को काफी हद तक सुरक्षित कर लिया।। इसमें सबसा बड़ा झटका चीन को लगा है जिन बंदरगाहों को बनाकर उनसे वो भारत को घेरना चाहता था अब उन बंदरगाहों से भारत अपनी गतिविधियाँ चलाएगा और करोडो डालर खर्च करने के बाद चीन अब हाथ मल रहा है उसके हाथ कुछ नहीं आया ।
जो लोग रेत में सर डाले शुतुरमुर्ग की तरह मोदी के बिदेश दौरों और बांगलादेश से सीमा समझौते की आलोचना में लगे थे,क्या कभी इस बिंदु पर ध्यान दिया?? शायद पूर्व में ध्यान दिया होता तो चीन से हारे नहीं होते..UPA 1 चीन समर्थक कमुनिष्ट बैसाखी पर था अतः उन्होंने कुछ नहीं किया UPA2 घोटालो में व्यस्त था तो उन्होनें कुछ नहीं किया।अब मोदी चीन के चक्रव्यूह को तोड़ रहे हैं तो इन सभी द्रोहियों को समस्या हो रही है। एक व्यक्ति भारत को विश्व में स्थापित कर रहा है। सीमाओं को सुरक्षित कर रहा हैकम से कम उसका समर्थन नहीं तो बेकार विरोध भी मत करें।
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आशुतोष की कलम से